पानी किल्लत शुरू, नहीं रुक रहा साठा धान लगना
रविवार, 7 अप्रैल 2019
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दुनिया कितनी मतलबी है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते. ये दुनिया इतनी मतलबी है कि अपने थोड़े से फायदे के लिए अपने बच्चो का फ्यूचर का खराब करने से नहीं चूक रही है. सोचो जरा, वो माहोल केसा होगा जब पृथ्वी पर पीने योग्य पानी ही नहीं होगा.
फिर मनुष्य और जानवर शायद आपको एक साथ नदियों या तालावो में पानी पीते दिख जाये तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं होगी, क्योकि ये कुछ बड़े किसान वही माहोल को तैयार कर रहे है. नलों की बड़ी मशीनो में पानी कम होना शुरू हो गया है जबकि नल की छोटी मशीन तो बिलकुल ही ठप हो चुकी है.
फिर भी ये बड़े किसान है जो मानने को तैयार ही नहीं. साठा धान अभी भी बड़ी तेजी से लग रहा है. प्रशाशन भी इस पर मौन है क्योकि इलेक्शन का टाइम है. कोई भी नेता इस पर बोलने को तैयार नहीं.
बोले भी केसे वो कौन सा पढ़े लिखे है और उनको भोगोलिक जानकारी है. इन अंगूठा टेक नेताओ को बिलकुल भी होश नहीं है कि प्रकृति की प्रकृति की कैसे ये कुछ बड़े किसान धज्जिया उड़ा रहे है. वो दिन दूर नहीं जब प्रकृति अपना कुल्हाड़ा उठाएगी और मानव जाति का ही सर्वनाश कर देगी.
ये कुछ बड़े किसान ऐसे मानने वाले नहीं है इसलिए आम आवाम को चाहिए कि वो इनके खिलाफ आवाज उठाये और साठा धान को बैन कराये. साठा धान का बेन होना बहुत जरुरी है क्योकि ये पूरी मानव जाति क्या ये सभी प्राणियों के लिए खतरे की घंटी है.
आप लोगो से निवेदन है कि आप लोग इस मुहीम का हिस्सा बने और इस न्यूज़ को whatsap या facebook के माध्यम से अपने दोस्तों में शेयर करे ताकि सभी लोग इस बिंदु पर गौर करे खास कर वो कुछ बड़े किसान भी. आप लोग तेजी से इस न्यूज़ को शेयर करे.
फिर मनुष्य और जानवर शायद आपको एक साथ नदियों या तालावो में पानी पीते दिख जाये तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं होगी, क्योकि ये कुछ बड़े किसान वही माहोल को तैयार कर रहे है. नलों की बड़ी मशीनो में पानी कम होना शुरू हो गया है जबकि नल की छोटी मशीन तो बिलकुल ही ठप हो चुकी है.
फिर भी ये बड़े किसान है जो मानने को तैयार ही नहीं. साठा धान अभी भी बड़ी तेजी से लग रहा है. प्रशाशन भी इस पर मौन है क्योकि इलेक्शन का टाइम है. कोई भी नेता इस पर बोलने को तैयार नहीं.
बोले भी केसे वो कौन सा पढ़े लिखे है और उनको भोगोलिक जानकारी है. इन अंगूठा टेक नेताओ को बिलकुल भी होश नहीं है कि प्रकृति की प्रकृति की कैसे ये कुछ बड़े किसान धज्जिया उड़ा रहे है. वो दिन दूर नहीं जब प्रकृति अपना कुल्हाड़ा उठाएगी और मानव जाति का ही सर्वनाश कर देगी.
ये कुछ बड़े किसान ऐसे मानने वाले नहीं है इसलिए आम आवाम को चाहिए कि वो इनके खिलाफ आवाज उठाये और साठा धान को बैन कराये. साठा धान का बेन होना बहुत जरुरी है क्योकि ये पूरी मानव जाति क्या ये सभी प्राणियों के लिए खतरे की घंटी है.
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