Story Muharram 2022: मुहर्रम क्या है? इसे क्यों मनाया जाता है? (Best Free Story )
Story Muharram 2022 | मुहर्रम क्या है? | मुहर्रम क्यों मनाया जाता है? | मुहर्रम की क्या कहानी है? | मुहर्रम को मानाने का सही तरीका क्या है? | Muharram Nibandh |
Story Muharram 2022: इस्लामिक Calendar के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीने से होती है। इसलिए मुहर्रम महीना इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है। यानी मुहर्रम इस्लाम धर्म के लिए नया साल है या इसको हिजरी सन् का शुरुआती महीना भी कहा जाता है।
पैग़म्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। मुहर्रम एक महीना है जिसमें दस दिन इमाम, हुसैन के शोक में मनाये जाते हैं। इसी महीने में मुसलमानों के आदरणीय पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब मुस्तफा सल्लाहों अलैह व आलही वसल्लम ने पवित्र मक्का से पवित्र नगर मदीना में हिज़रत किया था। मुहर्रम के दिन कई मुस्लिम उपवास करते हैं।
बता दें इस्लाम धर्म के लोगों के लिए ये महीना बहुत अहम होता है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी जो कि आखिरी नवी मोहम्मद सल्लाल्होअलिही वसल्लम के नवासे थे। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के आखरी नवी व सब नवियों के नवी हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे और आप उनके नाना थे।
उनकी शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं, जिसे आशूरा ( Ashura ) भी कहा जाता है। अब हम आपको बताते हैं आखिर मुहर्रम क्यों मनाया जाता है, इसके मनाने के पीछे की वजह क्या है? आईए इसको विस्तार से समझते है, ऐसे आर्टिकल आपको यहाँ से पढने को मिलेंगे इसलिए आप लोग इस वेबसाइट को बुकमार्क करके रखे और हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करके जरुर रखे।
मोहर्रम का इतिहास- History Of Muharram 2022
सभी लोगो के दिमाग मे यह बात जरूर चल रही होगी कि “मुसलमानों द्वारा मुहर्रम क्यों मनाया जाता है?” तो आज इसी सवाल का जवाब Muharram Ka Itihas in Hindi माध्यम से देने जा रहे है। इसलिए इसको ध्यान से पढ़े, नवी के घरवालों के मर्तवा सुनकर आप की भी आंखें भर आने वाली है।
जब धर्म (इस्लाम) को मोहम्मद साहब ने फैलाना शुरू किया, तब अरब देश के लगभग सभी कबीलों ने मोहम्मद की बात मानकर अल्लाह का दीन (धर्म) कबूल कर लिया। मोहम्मद के साथ मिले कबीलों की तादाद देखकर उस समय मोहम्मद के दुश्मन भी मोहम्मद साहब के साथ आ मिले (कुछ दिखावे में और कुछ डर से)। लेकिन वे मोहम्मद से दुश्मनी अपने दिलों में रखे रहे। मोहम्मद साहब के आठ जून, 632 ई. को वफ़ात के बाद ये दुश्मन धीरे-धीरे हावी होने लगे।
हेलो सर कैसे है आप ?
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